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Thursday, April 3, 2014

जो नहीं हो,वो मत बनो-सोनू निगम

सुरों के धनी सोनू निगम किसी परिचय के मोहताज नहीं है। उनकी संगीत प्रतिभा की मुरीद स्वयं सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर हैं। युवा गायकों की प्रेरणा हैं सोनू।फिल्म संगीत जगत की नयी पीढ़ी के सरताज हैं सोनू। सोनू निगम की कामयाबी का सफ़र कई उतार-चढ़ाव से होकर गुजरा है। वे आज जिस मुकाम पर हैं उसमें उनकी मेहनत, धैर्य और लगन का महत्वपूर्ण योगदान है।आइये रूबरू होते हैं सुरीले यूथ आइकॉन सोनू निगम के कामयाबी के मंत्र से..

डर पर जीत
सोनू ने जब दिल्ली से मुंबई का रुख किया था तब उनमें आत्मविश्वास की कमी थी। वे मुंबई की आपाधापी,अपनी महत्वाकांक्षा और संगीतकरों की डांट-डपट से डरते थे। उन्हें डर था कि मुंबई की तेज रफ़्तार जिंदगी में उनकी प्रतिभा कहीं गुम न हो जाए ! सोनू कहते हैं,'जब मैं मुंबई आया था,तो मुझमें आत्मविश्वास की बेहद कमी थी। मैं डरा रहता था। आज मैं आत्मविश्वास से लबरेज हूं। मेरा डर चला गया है। सोचता हूं कि कोई क्या कर सकता है मेरा। क्या बुरा हो जाएगा मेरा? इतने छोटे स्तर से मेरी शुरूआत हुई थी कि अगर यहां रूका,तो कहां जाऊंगा ! इस बात का मुझे कोई गम नहीं होगा। सोचता हूं कि यदि यहां से आधा नीचे चला जाऊंगा तो भी क्या होगा? इस मुकाम पर आने के बाद अगर मुझे नब्बे प्रतिशत भी सफलता मिलेगी तो मैं यही सोचूंगा कि मैंने बहुत पाया। ..तो अब मेरा डर चला गया है। अब बस यही इच्छा है कि काम अच्छा हो।'

धैर्य है जरुरी
सफलता का सोपान छूने के बाद सोनू जान गए हैं कि सिर्फ शोर मचाने से कामयाबी नहीं मिलती। धैर्य और प्रतिभा को वे कामयाबी का मन्त्र मानते हैं। सोनू कहते हैं,'पहले मैं सिर्फ मशीनी जिंदगी जी रहा था। अब मैं आत्मा और परमात्मा की शक्ति का सेवन कर सकता हूं। शोर मचाने में यकीन नहीं करता। दो तरह के लोग होते हैं। एक वो हैं जो कुछ नहीं होते हैं लेकिन खूब शोर मचाते हैं। दूसरे तरह के लोग होते हैं जिनमें बहुत कुछ होता है लेकिन वे शोर नहीं मचाते हैं। उन्हें सिर्फ अपने काम से काम होता है। मेरी कोशिश रहती है कि मेरी पहचान मेरी गायकी से हो,मेरे टैलेंट से हो।कुछ भी जताने की आवश्यकता नहीं है कलाकार के तौर पर मैं महसूस करता हूं कि मुझे हमेशा अच्छा गाना चाहिए।'

जैसे हो,वैसे रहो
सोनू निगम का मानना है कि अपने व्यक्तित्व की मौलिकता हमेशा बरकरार रखनी चाहिए। किसी दूसरे की तरह बनने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। वे कहते हैं,'वो मत बनो जो तुम नहीं हो।जो युवा गायक या गायिका बनना चाहते हैं उनसे उनसे मैं यही कहूंगा कि सिंगर बनने के लिए इस फील्ड में  आओ। खुद को सच्चाई के साथ पेश करना। अगर गंवार हो,तो गंवार की ही तरह खुद को पेश करना। शहरी बनने की कोशिश मत करना। अगर हिंदी भाषी हो,तो हिंदी में बात करो। मतलब... वो मत बनो जो तुम नहीं हो। बस अच्छा गाना गाओ।'

हमेशा सीखते रहें
सोनू निगम खुद को संगीत का साधक मानते हैं। सोनू के अनुसार अपने कार्य की गुणवत्ता बनाये रखने के लिए हमेशा कुछ नया सीखते रहना चाहिए। सोनू कहते हैं,'मैं आज भी विद्यार्थी जीवन ही जी रहा हूँ। स्वयं को कभी परफेक्ट नहीं मानता हूँ क्योंकि  ये हमारे भविष्य के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। हां,खुद को इतना आश्वस्त जरूर कर सकता हूँ कि मेरे काम के साथ हमेशा गुणवत्ता जुड़ी रही है। परिवर्तनों के साथ तालमेल बिठाकर चलने की मेरी हमेशा कोशिश रहती है।'

प्रयोग से डरे नहीं
सोनू निगम प्रयोग से नहीं डरते हैं। अपनी आवाज के साथ प्रयोग कर उन्होंने अपनी शैली विकसित की। सोनू ने अपनी इसी शैली के साथ युवा गायकों को प्रेरित किया और हिंदी फ़िल्मी संगीत को नयी दिशा दी। सोनू कहते हैं,'जीवन में बेहतर और बेहतरीन करने के लिए हमेशा प्रयोग करते रहना चाहिए। हो सकता है कि कई प्रयोग असफल हो जाएं, लेकिन एक्सपेरिमेंट करने से कभी घबराना नहीं चाहिए। '
-सौम्या अपराजिता