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Monday, October 28, 2013

अभिनय के रणक्षेत्र में सुरों के सिपाही...

अपने सुरों से श्रोताओं के कानों में मधुर रस घोलने वाले आकर्षक व्यक्तित्व वाले गायक-गायिकाओं को  फिल्मों में अभिनय के प्रस्ताव मिलते रहते हैं। हालांकि,इन प्रस्तावों के बावजूद अभिनय की राहों पर मुड़ने में गायक-गायिका घबराते हैं। उन्हें दर्शकों की अस्वीकार्यता के साथ-साथ दोहरी जिम्मेदारी के दबाव का डर होता है।इस डर पर विजय हासिल करते हुए जिन्होंने गायन के साथ-साथ अभिनय की ओर भी रुख करने का जोखिम उठाया है,आमतौर पर उनके हाथ निराशा ही लगी है। किशोर कुमार,श्रुति हासन और अली जफ़र को छोड़कर जितने भी सुरों के सिपाहियों ने अभिनय के रण क्षेत्र में कूदने की हिमाकत की है उन्हें अधिकांशतः विफलता ही मिली है।

जो रहे सफल
किशोर कुमार उन सभी पार्श्व गायक-गायिकाओं की प्रेरणा हैं जो गायन के साथ-साथ अभिनय को भी अपने व्यवसाय का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाना चाहते हैं। जब किशोर कुमार ने अभिनय जगत में दस्तक दी,तो भी उन्हें उतनी ही सफलता और स्वीकार्यता मिली जितनी बतौर पार्श्व गायक मिली थी। वे जितने सफल गायक थे उतने ही सफल अभिनेता भी बनकर उभरे। दरअसल,किशोर जब गायक के साथ-साथ अभिनेता बनें तो उनकी प्रतिभा और भी निखर गयी। उनका आत्मविश्वास और बढ़ गया। वे और भी प्रिय और लोकप्रिय बन गए। किशोर कुमार से प्रेरित होकर ही गायक अली जफ़र ने अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा। 'तेरे बिन लादेन' में अली के अभिनय का रंग पहली बार भारतीय दर्शकों ने देखा। स्वाभाविक अभिनय से दर्शकों को प्रभावित करने वाले इस लोकप्रिय पॉप गायक ने बता दिया कि एक ही व्यक्ति अच्छा गायक और समर्थ अभिनेता दोनों हो सकता है। उधर कमल हासन की बिटिया श्रुति हासन ने भी संगीत जगत में अपनी धमक देने के बाद अभिनय की दुनिया में प्रवेश की योजना बनायी। अब श्रुति अभिनय में इतनी रम गयी हैं कि गायिका के रूप में उनकी पहचान हाशिये पर चली गयी है। श्रुति ने बतौर गायिका अपने करियर की शुरुआत की,पर उनकी पहचान बनी अभिनेत्री के रूप में। रोचक है कि श्रुति कई फिल्मों में स्वयं के लिए पार्श्व गायन कर चुकी हैं। उन्होंने 'लक' और 'डी डे' के गीतों को अपने कर्णप्रिय धुनों से सजाया है। अली जफ़र की ही तरह श्रुति ने भी गायन से अभिनय का सफ़र सफलतापूर्वक तय किया है। हालांकि... इस सुहाने सफ़र के बावजूद किशोर कुमार की तरह अली और श्रुति गायन और अभिनय के बीच संतुलन बनाने में सफल नहीं रहे हैं।

अभिनय से मोह-भंग
कुछ ऐसे गायक और गायिका भी हैं जिन्होंने स्वयं को सक्षम अभिनेता-अभिनेत्री तो साबित कर लिया,पर  अच्छे अवसर की अनुपलब्धता या फिर किसी अन्य कारण से जल्द ही अभिनय से उनका मोह-भंग हो गया। वसुंधरा दास और लकी अली ऐसे ही दो नाम हैं। वसुंधरा दास ने 'मानसून वेडिंग' और 'हे राम' जैसी फिल्मों में अपने अभिनय की शानदार बानगी पेश की। उनकी अनूठी आवाज की ही तरह उनके अभिनय की भी खूब प्रशंसा हुई । ..पर जल्द ही वसुंधरा के प्रशंसकों को निराशा का सामना करना पड़ा जब वसुंधरा ने अभिनय से मुंह मोड़ लिया। वसुंधरा कहती हैं,' मैं सिर्फ उपस्थिति दर्ज कराने के लिए फिल्में नहीं करना चाहती। 'हे राम' ओर 'मानसून वेडिंग' सरीखी फिल्में ही करना चाहती हूं। इसीलिए सभी फिल्मों को मैं हां नहीं कर पाती। फिर मेरा अपना एक बैंड भी है। उसकी वजह से भी टाइम कम मिलता है।' लकी अली भी ऐसी ही स्थिति से गुजरे। महमूद के पुत्र लकी अली ने कई म्यूजिक अल्बम को अपने सुरों से पिरोने के बाद पूजा भट्ट की 'सुर' में अपने संजीदा अभिनय से दर्शकों को प्रभावित किया। लकी में अच्छे गायक के साथ-साथ बेहतरीन अभिनेता की भी झलक नजर आई,पर लकी जल्द ही अभिनय से दूर हो गए।लकी कहते हैं,' मैंने ' सुर ' में अभिनय किया। ऐसी कुछ फ़िल्में होती हैं जो लीक से हटकर होती हैं। इसकी कहानी भी अच्छी थी और गाने भी। वैसे आजकल तो लोगों का ज़ोर इस बात पर है कि तीन दिन में कितना कमा सकते हैं। आज तो सिनेमा प्रपोजल जैसा बनता है।मैं इस बाज़ार का हिस्सा नहीं बनना चाहता।'
धरे रह गए अरमान
कई ऐसे गायक हैं जिन्होंने बड़े अरमानों से अभिनय की दुनिया में कदम रखा,पर गायन के साथ-साथ अभिनय में भी सफल होने के उनके अरमान धरे रह गए। अभिनय की दुनिया में उनकी दाल नहीं गल पायी। सोनू निगम,आदित्य नारायण,अभिजीत सावंत और शान ऐसे ही सुरों के सिपाही हैं जिन्हें अभिनय के रण क्षेत्र में पराजय से सामना करना पड़ा। आकर्षक व्यक्तित्व के कारण इन गायकों के लिए अभिनय की राह मुश्किल नहीं थी,पर अच्छे अवसर के अभाव,जल्दबाजी और प्रस्ताओं के चुनाव में असावधानी बरतने के कारण ये लोकप्रिय गायक सफल अभिनेता नहीं बन पाए। अभिनय में मिली असफलता के बाद इन सभी ने अभिनय से मुंह मोड़ लिया है और एक बार फिर सिर्फ संगीत के प्रति अपने समर्पण की घोषणा कर दी है। हालांकि,असफलता के बावजूद हिमेश रेशमिया का अभिनय से लगाव बना हुआ है। वे अब स्व निर्मित फिल्मों में अपने लिए अभिनय के अवसर ढूंढ रहे हैं। पिछले वर्ष वे 'खिलाडी 420' में अक्षय कुमार के साथ नजर आये। गौरतलब है कि इस फिल्म का निर्माण हिमेश ने अक्षय कुमार के साथ मिलकर किया था। सोफी चौधरी भी कभी आइटम गीतों में तो कभी छोटी भूमिकाओं में अपनी झलक दिखलाती रहती हैं। हालांकि,अभी गायन और अभिनय दोनों में ही खुद को सोफी साबित नहीं कर पायी हैं।
और भी हैं कतार में.
वर्तमान में सबसे सफल और लोकप्रिय गायकों में शुमार मिका सिंह भी अभिनय की राह पर निकल पड़े हैं। सुनील अग्निहोत्री निर्देशित 'बलविंदर सिंह फेमस हो गया' से मिका अभिनय में अपनी किस्मत आजमाने के लिए तैयार हैं। मिका इस फिल्म के निर्माता भी हैं। सुनील अग्निहोत्री कहते हैं,'मिका शानदार गायक हैं यह तो सभी जानते हैं। अभी तक के अपने अनुभव से कह सकता हूं कि वे अच्छे अभिनेता भी हैं।' मिका की ही तरह पार्श्व गायन का एक और तेजी से उभरता हुआ चेहरा अभिनय की दुनिया में दस्तक देने के लिए तैयार है। बात हो रही है 'जरा जरा टच मी','ख्वाब देखे झूठे-मूठे' और ' संवार लूं' जैसे गीतों को अपने सुरों से सजाने वाली मोनाली ठाकुर की। अब्बास टायरवाला निर्देशित नयी फिल्म 'मैंगो' में मोनाली बतौर अभिनेत्री दर्शकों के सामने होंगी। मोनाली बताती हैं,'मैंने एक्टिंग की अलग से कोई पढ़ाई नहीं की है। एक्टिंग मेरे खून में है। मेरे पिता थिएटर एक्टर रहे हैं। दूसरे मैं हिंदी और अंग्रेजी की फिल्में लगातार देखती रही हूं। उन फिल्मों से बहुत कुछ सीखा है।' उम्मीद है कि श्रोताओं को अपने सुरों से सम्मोहित करने वाले मिका सिंह और मोनाली ठाकुर का अभिनय की दुनिया में प्रवेश का यह प्रयास सुखद और सकारात्मक हो....।
-सौम्या अपराजिता

Monday, September 30, 2013

रियल से रील की राह....

स्मॉल स्क्रीन पर हर दिन सजने वाले मनोरंजन के बाजार में चैनलों के बीच अपने-अपने धारावाहिक को बेचने की होड़ लगी रहती है। इस होड़ में आगे बने रहने के लिए चैनल और धारावाहिक निर्माता नयी-नयी जुगत लगाते हैं। इसी सिलसिले में अपने धारावहिक को फ्रेश और रोचक बनाने के प्रयास किये जाते हैं जिसके लिए नए कथानक के साथ नए कलाकारों की भी दरकार होती है। वक़्त कम होता है और नए कलाकारों के चयन की बड़ी चुनौती होती है। ऐसे में,सबसे पहले नजर रियलिटी कार्यक्रमों के प्रतियोगियों पर पड़ती है। और बस...जैसे ही उन प्रतियोगियों में कोई चेहरा आकर्षक और प्रतिभाशाली लगता है..उसे उस नए धारावाहिक में अभिनय का प्रस्ताव मिल जाता है। इस तरह रियलिटी शो से धारावाहिक का सफ़र तय करने वाले ये चेहरे स्मॉल स्क्रीन के स्टार बन जाते हैं।

 हर विधा से...
 रोचक है कि विभिन्न विधा के रियलिटी शो के पूर्व प्रतियोगी आज धारावाहिकों की दुनिया के लोकप्रिय नाम हैं। उदाहरण कई हैं। रोमांच और एक्शन से लबरेज रियलिटी शो 'रोडिज 4' के प्रतियोगी रह चुके शालीन मल्होत्रा ने स्टार प्लस के धारावाहिक ' हर युग में आएगा एक अर्जुन' में अर्जुन की केंद्रीय भूमिका निभायी...'रोडिज 7' की प्रतियोगी चार्ली चौहान ने चैनल वी के धारावाहिक 'बेस्ट फ्रेंड फॉरएवर' में युवा दर्शकों का दिल लुभाया...तो वहीँ 'डांस इंडिया डांस-लिटिल मास्टर्स' के विजेता फैजल खान इन दिनों 'भारत का वीर पुत्र:महाराणा प्रताप'में शीर्ष भूमिका निभा रहे हैं। 'इंडियन आइडल' के मंच पर अपनी गायन प्रतिभा से दर्शकों को परिचित करा चुकी नेहा सरगमस्माल स्क्रीन की स्टार अभिनेत्रियों में एक हैं,तो 'स्प्लिट्स विला' के विजेता रह चुके विशाल कारवाल धारावाहिकों की दुनिया के स्टार अभिनेता हैं। 'डांस इंडिया डांस' में प्रतियोगी के रूप में अपनी थिरकन से मन मोह चुकी बिन्नी शर्मा ने 'संजोग से बनी संगिनी' में नायिका की भूमिका निभायी,तो 'परफेक्ट ब्राइड' की प्रतियोगी रह चुकी वृंदा दावडा धारावहिक ' दिल दोस्ती डांस' में अपने अभिनय का रंग भर रही हैं। दरअसल,नए चेहरों के लिए धारावहिकों के निर्माता-निर्देशक की तलाश किसी एक विधा के रियलिटी शो पर ख़त्म नहीं होती। वे हर विधा...फिर गायन हो या नृत्य या फिर रोमांच... हर विधा पर आधारित रियलिटी शो के प्रतियोगियों में अपने धारावाहिक के नायक या नायिका की छवि ढूंढते हैं।

आसान हुई अभिनय की राह
 रियलिटी शो के कारण अभिनय की राह पर चलना आसान हो गया है। यदि कोई युवक या युवती अभिनय जगत में प्रवेश करना चाहता है,तो वह सबसे पहले अपनी विशेष प्रतिभा पर आधारित रियलिटी शो का प्रतियोगी बन जाता है। रियलिटी शो का हिस्सा बनकर उसे शुरूआती पहचान मिलती है। निर्माता-निर्देशकों की नजर उस पर पड़ती है जिससे अभिनय की दिशा में कदम बढ़ाना उसके लिए अपेक्षाकृत सरल हो जाता है। ' डांस इंडिया डांस' से धारावाहिक 'संजोग से बनी संगिनी' की नायिका बनीं बिन्नी शर्मा कहती हैं,' डांसिंग मेरा पैशन है,पर  एक्टिंग भी मेरे दिमाग में था। मैं शुरू से एक्ट्रेस बनना चाहती थी।' डांस इंडिया डांस' के मंच से जुड़ना मेरे लिए फायदेमंद साबित हुआ। मेरा कॉन्फिडेंस बढ़ा और मुझे मेरा पहला एक्टिंग प्रोजेक्ट मिला।'

निखरना-संवरना
 रियलिटी शो भविष्य के अभिनेता-अभिनेत्री को निखारते-संवारते हैं। कैमरे का सामना करने की कला उन्हें आती है। लोकप्रिय होने का पहला अहसास उन्हें होता है। दरअसल,रियलिटी शो से प्रतियोगियों में आत्मविश्वास आता है जो किसी भी अभिनेता-अभिनेत्री के आवश्यक गुणों में शुमार है। निर्माता सुकेश मोटवानी कहते हैं,'रियलिटी शो के बहाने हम नए टैलंट को तलाश कर पाते हैं। रियलिटी शो के कारण युवाओं को कैमरा फेस करने का कॉन्फिडेंस मिलता है।' रियलिटी शो 'सुपरस्टड' के विजेता बनने के बाद अभिनय जगत में प्रवेश करने वाले करण छाबड़ा कहते हैं,'रियलिटी शो से एक्सपोज़र मिलता है। कैमरा फेस करना आ जाता है। एक्टर बनने का अच्छा प्लेटफॉर्म है रियलिटी शो। एक्टिंग फील्ड में रियलिटी शो से जुड़े यंगस्टर को फ्रेशर्स से ज्यादा महत्त्व दिया जाता है।'

 कसौटी पर खरा उतरने की चुनौती
रियलिटी शो से धारावाहिकों का सफ़र तय करने के बाद कलाकारों के सामने कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच दर्शकों की कसौटी पर खरा उतरने की चुनौती भी होती है। चूंकि, रियलिटी शो के मंच पर दर्शकों का परिचय उनसे हो जाता है..इसलिए उनसे उम्मीदें भी अधिक होती हैं। दर्शकों की नजर में वे परिचित होते हैं,पर सही मायने में तो अभिनय के क्षेत्र में उनका पहला प्रयास होता है। ऐसे में बिलकुल नए चेहरों की तुलना में उनके सामने पहले ही प्रयास में खुद को साबित करने की बड़ी चुनौती होती है।' स्प्लिट्स विला' के विजेता बनने के बाद ' मितवा','क्या हुआ तेरा वादा'और ' बड़े अच्छे लगते हैं' जैसे धारावाहिकों में अभिनय कर चुके मोहित मल्होत्रा कहते हैं,'यह सच है कि स्प्लिट्स विला ने मुझे शुरूआती पहचान दिलायी, पर मुझे लगता है कि एक्टिंग के फ़ील्ड में आपकी काबिलियत भी मायने रखती है। अगर आपमें एक्टिंग का कीड़ा नहीं है तो आप अच्छे अवसर मिलने के बाद भी खुद को साबित नहीं कर पाते हैं। एक्टर का जॉब इतना आसान नहीं है।'

दरअसल,रियलिटी शो पहचान तो देते हैं,पर पहचान के उस दायरे को विशाल बनाते हैं दैनिक धारावाहिक। ऐसे में,समर्पण,लगन और परिश्रम की आवश्यकता होती है। साथ ही,रियलिटी शो में अपने मौलिक व्यक्तित्व से परिचय कराने के बाद खुद को धारावाहिक के काल्पनिक चरित्र में ढालना आसान नहीं होता है। ऐसे में, रियलिटी शो के प्रतियोगियों के लिए अभिनय की राह आसान होकर भी मुश्किल होती है। यदि,अभिनय में इच्छुक रियलिटी शो के प्रतियोगी पर्याप्त प्रशिक्षण और तैयारी के साथ धारावाहिकों में नायक या नायिका बनने की चुनौती स्वीकार करें,तो निश्चित ही बेहतर परिणाम आएंगे...

रियलिटी शो से सीरियल तक...

  •  आंचल खुराना (रोडिज)- सपने सुहाने लड़कपन के
  • विशाल करवाल ('स्प्लिट्स विला'और ' रोडिज')- भाग्यविधाता
  • ऋत्विक धनजानी (डांस इंडिया डांस)-पवित्र रिश्ता
  • पवित्र पुनिया( स्प्लिट्स विला)-होंगे जुदा न हम
  • कुंवर अमरजीत सिंह(डांस इंडिया डांस)-दिल दोस्ती डांस
  • शालीन मल्होत्रा (रोडिज)-अर्जुन
  • करण छाबड़ा (सुपर स्टड)-द सीरियल
  • वृंदा दावडा (परफेक्ट ब्राइड)-दिल दोस्ती डांस
  • रिषभ सिन्हा( स्प्लिट्स विला)-क़ुबूल है
  • चार्ली चौहान ( रोडिज) - बेस्ट फ्रेंड फॉरएवर
  • नेहा सरगम (इंडियन आइडल)-चाँद छुपा बादल में
  • ट्विंकल बाजपेयी (सारेगामापा) -घर की लक्ष्मी बेटियां
  •  फैजल खान (डांस इंडिया डांस-लिटिल मास्टर्स)-भारत का वीर पुत्र महाराणा प्रताप
  • बिन्नी शर्मा(डांस इंडिया डांस)-संजोग से बनी संगिनी
  • अमित टंडन(इंडियन आइडल)-कैसा ये प्यार है
  •  अर्चना तायडे(बॉलीवुड का टिकट)-क़ुबूल है
  • मोहित मल्होत्रा ( स्प्लिट्स विला ) - क्या हुआ तेरा वादा


-सौम्या अपराजिता
रियलिटी शो से लोकप्रियता का सोपान छूने वाले कलाकारों से यहां मिलें..

http://somya-aparajita.blogspot.in/2013/05/blog-post_7240.html