Tuesday, January 24, 2017

बायोपिक,विवाद और मनोरंजन

-सौम्या अपराजिता
जब फ़िल्मकार अपनी फिल्मों में रियल लाइफ के नायकों के जीवन की कहानी कहने की सोचते हैं
,तो विवादों का साया उनके साथ-साथ चलने लगता है। दरअसल,रियल लाइफ चरित्रों पर आधारित फिल्मों अर्थात 'बायोपिक' और विवादों का चोली-दामन का साथ रहा है। फ़िल्मकार यदि किसी व्यक्ति के निजी जीवन से जुड़े तथ्यों को दिखाने में थोड़ी भी रचनात्मक छूट लेते हैं,उन्हें आलोचना-प्रत्यालोचना का शिकार होना पड़ता है। पिछले दिनों प्रदर्शित हुई 'दंगल' को भी ऐसे विवाद से दो-चार होना पड़ रहा है।
महावीर फोगट के जीवन पर आधारित 'दंगल' सफलता के सोपान छू रही है। सफलता की सीढियां चढ़ रही 'दंगल' प्रदर्शन से पहले विवादों से दूर रही,मगर प्रदर्शन के दो-तीन बाद एक विवाद इस प्रशंसित फ़िल्म से भी जुड़ ही गया। यह विवाद निर्माता-निर्देशकों द्वारा फ़िल्म मेकिंग के दौरान ली गयी रचनात्मक छूट के कारण हुआ। दरअसल,'दंगल' में दिखाया गया है कि जब गीता फोगट रियो ओलंपिक के फाइनल बाउट के लिए रिंग में जा रही होती हैं,तो उनके पिता को किसी बहाने से एक कमरे में बंद कर दिया जाता है। अगले दृश्य में उसके कोच सामने आते हैं। सभी को यही लगता है कि गीता के कोच के कहने पर ऐसा किया गया है। फिल्म देखने के बाद रियल लाइफ में गीता के कोच रहे पीआर सोंधी ने बताया कि सही में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। फिल्म में जो दिखाया गया है उससे उनकी छवि को धक्का लगा है। उन्होंने यह भी कहा कि आमिर खान को फिल्म बनाते समय संबंधित लोगों से भी बात करनी चाहिए। गीता ने भी इस दृश्य की सत्यता के बारे में अपनी राय रखते हुए अपने कोच की बात को सच बताया है। पिता को कमरे में बंद करने की बात का गीता ने भी खंडन किया है। गीता के अनुसार फिल्म को रोमांचक बनाने के लिए ऐसा किया गया है। जबकि सही में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। आमिर खान ने भी माना है कि 'दंगल' को रोमांचक और मनोरंजन बनाने के लिए यह रचनात्मक छूट ली गयी थी। आमिर के अनुसार, यह फिल्म(दंगल) एक बायोपिक है लेकिन इसके कुछ पात्रो को इंटरटेनिंग बनाने के लिए बदला गया है। यह केवल दर्शको के मनोरंजन के लिए किया गया है।' लेखक प्रसून जोशी भी मानते हैं कि बायोपिक को मनोरंजक बनाने के लिए कल्पना का पुट देना जरुरी हो जाता है। प्रसून कहते हैं,'जीवनी लेखन किसी काल्पनिक कहानी लेखन के मुकाबले बहुत मुश्किल है। उसे लिखने के लिए काफी रिसर्च करना पड़ता है। उस इंसान से जुड़ी छोटी से छोटी बारीकियों को ध्यान में रखना पड़ता है। 'भाग मिल्खा भाग' लिखने के दौरान मैंने चुस्त पटकथा लिखने के लिए तथ्यों के साथ कल्पना मिलाई, क्योंकि मैं मनोरंजक फिल्म लिखना चाहता था। इस फिल्म में अनेक पात्र काल्पनिक हैं। काल्पनिक दृश्य यथार्थ को धार प्रदान करें तो उनका समावेश करना उचित है। कोई भी बायोपिक पूरी तरह यथार्थपरक नहीं हो सकता, इस तरह वृत्तचित्र बनाया जा सकता है।' 
कभी-कभी कड़वी सच्चाई से उठने वाले संभावित विवादों के डर से बायोपिक निर्माताओं को समझौते करने पड़ते हैं। ऐसा ही 'एम एस धोनी' के निर्माताओं को करना पड़ा था। फ़िल्म' को विवादों से बचाने के लिए फ़िल्म के अहम् हिस्से को ऐन वक़्त पर हटा दिया गया। दरअसल,'एम एस धोनी' के टीज़र रिलीज के बाद तीन सीनियर खिलाडियों को टीम से हटाने से जुड़े एक डायलॉग ने काफी चर्चा बटोरी। इस डायलॉग के कारण फ़िल्म से विवादों के जुड़ने का डर था जिस कारण रिलीज के ठीक पहले फिल्म के उस मशूहर डायलॉग को हटाने का निर्णय किया गया। इस विवाद से बचने के बाद जब महेंद्र सिंह धोनी से उनके बायोपिक 'एम एस धोनी' के सीक्वल की बात की गयी,तो उन्होंने साफ इशारा किया कि उनके बायोपिक का कोई सीक्वल नहीं होगा। उनका मानना है कि इससे काफी विवाद खड़ा हो सकता है।
आमतौर पर बायोपिक फ़िल्में रियल लाइफ की उन्हीं शख्सियतों पर बनायी जाती हैं जिनका जीवन रोचक और प्रेरक तथ्यों से भरा हो या जो विवादों में रहे हों। ऐसे में, विवादित शख्सियतों के बायोपिक पर होने वाले विवादों को दरकिनार नहीं किया जा सकता है। आने वाले दिनों में ऐसी ही कुछ विवादित शख्सियतों की बायोपिक दर्शकों के सामने होंगी जिनमे संजय दत्त और हसीना पारकर की बायोपिक है। संजय दत्त से जुड़े तमाम विवादों को दर्शक रणबीर कपूर अभिनीत बायोपिक 'संजय दत्त' में देखेंगे,तो वहीँ विवादों में रही दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर के व्यक्तित्व को बायोपिक 'हसीना' में जीती नजर आएंगी श्रद्धा कपूर । दरअसल,इन फिल्मों से विवाद का जुड़ा होना तय है क्योंकि ये फिल्में ही विवादित शख्सियतों की बायोपिक हैं। ऐसी ही एक विवादित शख्सियत की बायोपिक में विद्या बालन भी नजर आएंगी। विद्या सिल्वर स्क्रीन पर एक ऐसी लेखिका के जीवन को जीने जा रही हैं जो विवादों में रही हैं। यह हैं अंग्रेजी की प्रसिद्ध लेखिका कमला सुरैया। कमला सुरैया की बायोपिक को लेकर विद्या बेहद उत्साहित हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि वे भविष्य में इस फ़िल्म से जुड़ने वाले विवादों के लिए खुद को तैयार कर चुकी हैं। दरअसल,भारत में अभी भी कड़वी सच्चाइयों से दूर भागने की मानसिकता है। दर्शकों का कुछ वर्ग समाज के यथार्थ से दूर भागने की कोशिश करता है जिस कारण फ़िल्मकार जब भी बायोपिक में सच्चाई दिखाने की कोशिश करते हैं,उन्हें विवादों से दो-चार होना पड़ता हैं। 'पान सिंह तोमर' के निर्देशक तिग्मांशु धुलिया कहते हैं,' जब हम हॉलीवुड में देखते हैं कि किसी उल्लेखनीय व्यक्ति पर बायोपिक फिल्में बन रही हैं, तो हम काफी खुश होते हैं और उसकी प्रशंसा भी करते हैं और सोचते हैं कि ऐसी फिल्में भारत में बने। लेकिन सच्चाई यह है कि हम जिस तरह के ढांचे में जकड़े हैं, ऐसी फिल्में बनाना संभव नहीं है। क्योंकि हमारी कोशिश दर्शकों तक पूरी सच्चाई पहुंचाने की नहीं होती बल्कि हम पर लोकप्रिय ढांचे में खुद को ढालने का दबाव होता है।'
आने वाली बायोपिक फ़िल्में-
*हसीना(दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर के जीवन पर आधारित)
*संजय दत्त (संजय दत्त के जीवन से जुडी)
*पैड मैन ( महिलाओं के लिए सस्ते सेनिटरी पैड  मुहैया कराने वाले अरूणांचालम मुरुगानानथम के जीवन पर आधारित)
*मुरलीकांत पेटकर(पैरालंपिक में भारत के लिए गोल्ड जीतने वाले एथलीट मुरलीकांत पेटकर के जीवन पर आधारित)
*सारे जहां से अच्छा(अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा के जीवन पर आधारित)
*मंटो (लेखक सआदत हसन मंटो के जीवन पर आधारित)
*सिमरन (गुजराती एन आर आई नर्स संदीप कौर के जीवन पर आधारित)
बायोपिक से जुड़े 'विवाद'
*नीरजा भनोत की बायोपिक 'नीरजा' को पैन एम 73 में नीरजा भनोत की साथी क्रू मेंबर रही नुपुर अबरोल ने रियल से अधिक फिक्शनल बताया। नुपुर के इस वक्तव्य ने सफल और सराही जा रही 'नीरजा' को भी विवादों से जोड़ दिया।
*एक घटनाक्रम में लुधियाना की बलजिंदर कौर ने सरबजीत की असली बहन होने का दावा किया है। उन्होंने दलबीर कौर की भूमिका निभा रही ऐश्वर्या राय बच्चन और निर्देशक उमंग कुमार को लीगल नोटिस भी भेजा और 'सरबजीत' पर रोक लगाने की बात कही थी।
* मशहूर लेखिका अमृता प्रीतम के बायोपिक की चर्चा काफी दिनों से चल रही है,मगर कुछ आपत्तियों के कारण अभी तक इस फ़िल्म का निर्माण शुरू नहीं हो पाया है।अमृता प्रीतम के पौत्री ने इस फ़िल्म के निर्माण पर आपत्ति जतायी है। उनके अनुसार अमृता प्रीतम नहीं चाहती थीं कि उनकी आत्मकथा का कमर्शियल उपयोग किया जाए।

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