Wednesday, September 25, 2013

अनुशासित और मर्यादित हूं...

'दीया और बाती हम' में जब संध्या की भूमिका निभाने का अवसर दीपिका सिंह को मिला तो उन्हें ऐसा लगा कि उन्होंने अपनी मंजिल की तरफ पहला कदम बढ़ा लिया है। अभिनय जगत  में कुछ कर दिखाने के उनके हौसले को नयी उड़ान मिल गयी। साथ ही,संध्या की भूमिका निभाने के अवसर ने मुंबई में दीपिका द्वारा बिताये गए संघर्ष के दिनों पर विराम लगा दिया।संध्या की भूमिका में रची-बसी  दीपिका की बातें उन्हीं के शब्दों में ...

उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा
दिल्ली की रहने वाली हूं।पढने में मैं बचपन से ही अच्छी थी। मैंने एम बी ए किया है।बचपन से ही एक्टिंग करने की इच्छा थी। एक्टिंग मेरा पैशन है। डेढ़ साल तक मैंने थिएटर भी किया। फिर 2 -3 साल मुंबई में  संघर्ष करते हुए गुजरे। . . लेकिन मैंने उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा। इसी बीच मुझे शशि सुमित प्रोडक्शन से ऑडिशन के लिए कॉल आया और मैं संध्या की भूमिका के लिए चुन ली गयी।

संध्या की हमदर्द
संध्या बहुत ही स्ट्रोंग कैरेक्टर है। एक कलाकार के रूप में इतना स्ट्रोंग
कैरेक्टर निभाना बहुत अच्छा लगता है।संध्या संस्कारी और दृढ़ विचारों वाली  है। मैं उसके  दर्द को समझ सकती हूँ क्योंकि मुझे भी काफी समय तक काम नहीं मिला था। संध्या भी आई ए एस ऑफिसर बनने  की इच्छा पूरी नहीं हो रही है। मैं उसकी बेचैनी को समझ सकती हूं।

कलाकार और किरदार
एक कलाकार और किरदार अलग-अलग होते हैं। निजी जीवन में मैंने भी स्ट्रगल किया है और मुझमें भी संध्या जैसी सहनशक्ति है,पर मैं संध्या जैसी नहीं हूं। मैं बहुत मस्ती करती हूँ। मुझे बहुत अच्छा लगता है जब लोग कभी-कभी श्रीदेवी से मेरी तुलना करते हैं।

कीमती है दर्शकों का प्यार
दर्शकों का प्यार तो मेरे लिए सबसे कीमती है,उन्हीं के बल पर हमलोग यहाँ तक पहुंचे हैं। जहाँ भी जाओ लोग संध्या के प्रति अपना प्यार जताते हैं। जब लोग कहते हैं कि उन्हें अपने घर में संध्या जैसी बहु या बेटी चाहिए तो बहुत अच्छा लगता है। अच्छा लगता है यह देखकर कि हमारे शो की वजह से लोगों की सोच बदल रही है।

शरारती हूं
मुझे शौपिंग करना,घूमना-फिरना और बातें करना बेहद पसंद है। फ़िल्में देखने का भी शौक है। मैं बहुत ज्यादा शरारती हूं। 'दीया और बाती हम' के सेट पर मैं बहुत  मस्ती करती हूं।डांस करना मुझे पसंद है। मस्ती के साथ-साथ मैं बेहद अनुशासित भी हूं। मुझे अपनी सीमा और मर्यादा पता है। अपने काम में खुशियाँ ढूंढती हूं।मैं घरेलू लड़की हूँ। अपने परिवार की खुशियों को ध्यान में रखते हुए ही कोई भी  काम  करती हूं।

स्टार स्टेटस के साइड इफ़ेक्ट
साइड इफेक्ट्स तो हर प्रोफेशन में होता है,पर जहाँ तक बात मेरे प्रोफेशन की है तो यहाँ साइड बेनिफिट ज्यादा है। हाँ,काम बहुत होता है। डेडलाइन होती है,पर हमारी प्रोडक्शन टीम बहुत केयरिंग है। इसलिए परेशानी नहीं होती है। हँसते-खेलते काम हो जाता है।

-सौम्या अपराजिता

'दीया और बाती हम' के नायक सूरज से यहां मिलें ---

http://somya-aparajita.blogspot.in/2013/09/blog-post_24.html

No comments:

Post a Comment

आपकी टिप्पणियों का स्वागत है...