Saturday, August 31, 2013

नए निर्देशकों की बानगी...

पिछले दिनों प्रदर्शित हुई फिल्म 'शिप ऑफ़ थिसियस' के प्रदर्शन ने हिंदी सिनेमा में निर्देशन की नयी शैली और नए दृष्टिकोण की बानगी पेश की। इस बहुचर्चित और प्रशंसित फिल्म से निर्देशक आनंद गाँधी ने हिंदी सिनेमा को नया दृष्टिकोण  देने की कोशिश की। नए दृष्टिकोण के सिनेमा के पैरोकार आनंद के अनुसार सिनेमा के माध्यम का समुचित प्रयोग करना आवश्यक है। उनके अनुसार सिनेमा सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं बल्कि जीवन के मर्म को समझने का भी बेहतरीन विकल्प हो सकता है। आनंद कहते हैं,' सिनेमा संभावनाओं वाला माध्यम है। मुझे लगता है सिनेमा के माध्यम का समुचित प्रयोग नहीं किया गया है। सिनेमा अनुभवों और अनुभूतियों से आगे अन्वेषण का भी विषय हो सकता है।' आनंद की ही तरह कई और नए निर्देशक सिनेमा जगत में दस्तक देने के लिए तैयार हैं। ये अपने साथ नए रंग और ढंग का सिनेमा लेकर आ रहे हैं । हालांकि, कुछ निर्देशक ही आनंद गांधी की तरह लीक से हटकर नयी और दार्शनिक शैली के सिनेमा से अपने सफ़र की शुरुआत करने का जोखिम उठाते हैं। अधिकांश नवोदित निर्देशक हिंदी सिनेमा की मुख्य धारा में रहते हुए अपनी रूचि और मिजाज़ का सिनेमा दर्शकों के सामने पेश करने की दिशा में प्रयासरत रहते हैं। रोचक तथ्य है कि इन नए निर्देशकों के साथ स्थापित अभिनेता-अभिनेत्री भी अभिनय के अनुभव का लुत्फ़ उठा रहे हैं।

सौमिक सेन ने बतौर निर्देशक अपनी पहली फिल्म के लिए 'नारी सशक्तीकरण' जैसे विषय का चयन किया है। वे अनुभव सिन्हा निर्मित 'गुलाब गैंग' का निर्देशन कर रहे हैं। पहली ही फिल्म में सौमिक को माधुरी दीक्षित और जूही चावला जैसी अनुभवी अभिनेत्रियों को निर्देशित करने का अवसर मिला है। 'रु ब रु', 'मीराबाई नॉट आउट' और 'हम तुम और घोस्ट' जैसी फिल्मों की पटकथा लिख चुके सौमिक की बतौर निर्देशक पहली फिल्म में औरतों के प्रति होने वाले अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने वाली एक महिला समूह को केन्द्रीय विषय बनाया गया है। कहा जा रहा है कि सौमिक  की फिल्‍म उत्तर प्रदेश के बुंदलेखंड में गुलाबी गैंग की संचालक सम्‍पत लाल की जिंदगी से प्रेरित है। माधुरी दीक्षित बताती हैं,' जब निर्देशक सौमिक सेन ने मुझे 'गुलाब गैंग' की कहानी सुनाई तो मैं इनकार नहीं कर पाई क्‍योंकि मुझे स्क्रिप्‍ट बेहद पसंद आई थी। इस फिल्‍म में महिला ही मुख्‍य किरदार में है।' गौरतलब है कि 'गुलाब गैंग' की पटकथा भी सौमिक ने ही लिखी है।

कला निर्देशन से फिल्म निर्देशन की बागडोर संभाल ली है ओमंग कुमार ने। निर्देशक के रूप में उनकी पहली फिल्म है संजय लीला भंसाली निर्मित मैरी कॉम पर आधारित बायोपिक। बतौर कला निर्देशक ओमंग संजय लीला भंसाली के साथ  'ब्लैक' और 'सांवरिया' जैसी फिल्मों में काम कर चुके हैं। जब ओमंग ने मैरी कोम पर आधारित फिल्म की स्क्रिप्ट संजय को दिखायी, तो वे विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष कर वर्ल्ड चैंम्पियन बनने वाली और ओलिपिंक में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय मुक्केबाज एमसी मैरी कॉम की कहानी से बेहद प्रभावित हुए। संजय ने इस स्क्रिप्ट को अपनी सहमति देते हुए निर्देशन की जिम्मेदारी ओमंग को सौंप दी। इस अनाम फिल्म में ओमंग के निर्देशन में प्रियंका चोपड़ा अभिनय का रंग भर रही हैं। ओमंग कुमार बताते हैं कि वह मैरी कॉम के ओलंपिक विजेता बनने से पहले से ही उन पर फिल्म बनाना चाहते थे।

नवोदित निर्देशकों की सूची में नया नाम है विक्रमजीत सिंह का। विक्रमजीत उर्फ़ विक्की के निर्देशन में बन रही पहली फिल्म 'रॉय' में रणबीर कपूर,जैकलीन फर्नांडीज और अर्जुन रामपाल अभिनय कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि रणबीर कपूर ने बचपन के मित्र हैं विक्की। विक्की निर्देशित पहली फिल्म का निर्माण भूषण कुमार कर रहे हैं। अमेरिका में बैंक की नौकरी छोड़कर विक्की हिंदी फिल्मों से जुड़ने भारत आये। 'लक्ष्य' में वे फरहान अख्तर के साथ सहायक निर्देशक रह चुके हैं। पिछले कुछ अर्से से विक्की की फिल्म निर्देशन की इच्छा थी जो थ्रिलर 'रॉय' से पूरी हो रही है।

फिल्म निर्देशकों की नयी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करने वाले इम्तियाज अली के भाई  साजिद अली भी फिल्म निर्देशन से जुड़ गए हैं। वे जॉन अब्राहम निर्मित 'बनाना' का निर्देशन कर रहे हैं। जॉन जानकारी देते हैं,' मेरी अगली फिल्म 'बनाना' का डायरेक्शन इम्तियाज के भाई साजिद कर रहे हैं। इसकी अधिकतर शूटिंग जमशेदपुर में हुई है । फिल्म युवावस्था के बारे मे है । इसमें दिखाया गया है कि कैसे एक युवा अपने जीवन के रोमांचक दौर का सामना करता है।  यह एक स्पेशल फिल्म है और उम्मीद करता हूँ  खास वर्ग के अलावा अन्य लोग भी इसे पसंद करेंगे।'साजिद की पहली फिल्म 'बनाना' में नए कलाकार अभिनय कर रहे हैं । गौरतलब है कि साजिद पिछले वर्ष प्रदर्शित हुई सफल फिल्म 'कॉकटेल' से बतौर लेखक हिंदी फिल्मों में अपने सफर का आगाज कर चुके हैं।

भ्रष्टाचार को अहिशोर सोलोमन ने अपनी पहली फिल्म का विषय बनाया है। अहिशोर निर्देशित पहली फिल्म भ्रष्टाचार के इर्द-गिर्द बुनी गयी ' जॉन डे' थ्रिलर है जिसमें रणदीप हुडा और नसीरुद्दीन शाह जैसे सक्षम अभिनेता अभिनय कर रहे हैं। 'जॉन डे' का लेखन भी अहिशोर ने ही किया है। अहिशोर बताते हैं,' 'जॉन डे' बदला लेने की नाटकीय कहानी है। नसीर ने एक ऐसे आम आदमी की भूमिका निभाई है जो भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ लड़ता है।'

सौमिक सेन,ओमंग कुमार,साजिद अली,विक्रमजीत सिंह और अहिशोर सोलोमन के साथ-साथ कई और नवोदित फिल्म निर्देशक हिंदी सिनेमा से जुड़ने की दिशा में अग्रसर हैं। हिंदी सिनेमा के प्रवेशद्वार पर खड़े ये नवोदित निर्देशक ही हिंदी सिनेमा के भविष्य की नींव रखेंगे। उम्मीद है आनंद गांधी से प्रेरित होकर नयी शैली,नए दृष्टिकोण और नयी सोच के साथ फिल्म निर्देशन में दस्तक देने वाले ये नए चेहरे हिंदी सिनेमा को समृद्ध और परिष्कृत करने की दिशा में प्रयास करेंगे ...।

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