Saturday, July 13, 2013

अच्छे अवसर ढूंढने की चुनौती ..

हमारी फ़िल्में पुरुष प्रधान हैं। इस तथ्य से फिल्म प्रेमी और फिल्म विशेषग्य दोनों अवगत हैं। जहां तक बात छोटे पर्दे की है तो सभी जानते और समझते हैं कि छोटा पर्दा महिला प्रधान है।दरअसल,सेटेलाईट चैनल के आगमन के बाद महिला प्रधान धारावाहिकों की नींव पड़ी जिसकी मजबूती आज तक बनी हुई है।उल्लेखनीय है कि सेटेलाईट चैनल क्रांति के बाद दैनिक धारावाहिकों का चलन बढ़ा। दैनिक धारावाहिकों की  दर्शक अधिकांशतः महिलाएं होती हैं जो घर के पुरुषों के कार्यालय और बच्चों के स्कूल जाने के बाद अपने-अपने  टेलीविज़न सेट से चिपक जाती हैं। इन्हीं महिला दर्शकों को आकर्षित करने के लिए महिला प्रधान धारावाहिकों के निर्माण का सिलसिला शुरू हुआ जो अब तक जारी है। हालांकि,महिला प्रधान धारावहिकों के साथ समय-समय  पर कुछ पुरुष प्रधान धारावहिक भी प्रसारित होते रहे हैं,पर उनकी संख्या बेहद कम है। ऐसे में,छोटे पर्दे पर अपने विशिष्ट अस्तित्व की तलाश कर रहे अभिनेताओं के सामने प्रभावशाली,केंद्रीय और महत्वपूर्ण भूमिकाओं के अच्छे अवसर ढूंढने की चुनौती है।
इस समय छोटे पर्दे पर दर्शकों के लिए उपलब्ध हो रहे पुरुष प्रधान धारावाहिकों की गिनती उँगलियों पर की जा सकती है। 'महादेव' में शीर्ष भूमिका निभा रहे मोहित रैना भी मानते हैं कि भारतीय टेलीविज़न महिला प्रधान है। वे कहते हैं,'महिला प्रधान होने के कारण टेलीविज़न पर पुरुष कलाकारों को मुख्य भूमिका निभाने के बेहद कम मौके मिलते हैं। मैं खुशकिस्मत हूं कि 'महादेव' में मुझे मुख्य भूमिका निभाने का मौका मिल रहा है।' मोहित की ही तरह रोनित रॉय भी उन सौभाग्यशाली अभिनेताओं में शामिल हैं जिन्हें 'अदालत' में शीर्ष भूमिका निभाने का अवसर मिला है। छोटे पर्दे पर महिला प्रधान धारावाहिकों से लोकप्रिय हुए रोनित के प्रभावशाली अभिनय की बानगी पहली बार 'अदालत' में दिख रही है। 'अदालत' में केडी पाठक की भूमिका में रोनित रॉय की प्रभावशाली मौजूदगी का प्रभाव छोटे पर्दे की सर्वाधिक लोकप्रिय अभिनेत्रियों से कम नहीं है।

पुरुष पात्रों के इर्द-गिर्द घूमने वाला धारावाहिक 'सीआईडी' कई वर्षों से दर्शकों को अपने मोहपाश में बांधे हुए है। एसीपी प्रद्युम्न और दया की चारित्रिक विशेषता की लोकप्रियता हर वर्ग के दर्शकों के बीच चर्चा का विषय बनी रहती है। 'सीआईडी' को मिली दर्शकों की लोकप्रियता और स्वीकार्यता से एसीपी प्रद्युम्न की भूमिका निभा रहे शिवाजी साटम बेहद उत्साहित हैं। वह कहते हैं,'-ईश्वर की कृपा है कि दर्शकों का इतना प्यार हमें मिल रहा है। बारह वर्ष पुराना हमारा रिश्ता है। दर्शकों के इस बेइंतहा प्यार के कारण ही जब 'सीआईडी' में मेरे कैरेक्टर को अंधा दिखाया गया था,तो दर्शक बेहद नाराज हुए थे। मुझे याद है कि कई दर्शक हमें पत्र लिख कर कहा करते थे कि एसीपी प्रद्युम्न को अंधा क्यों बना दिया? जल्दी से उनकी आंखें वापस लाओ। एक हफ्ते के अंदर ही मेरी आंखें 'सीआईडी' में वापस आ गयीं। ज्यादातर दर्शक 'सीआईडी' देखते हैं इसलिए हमने कुछ बातों पर विशेष ध्यान दिया है। बच्चों और स्त्रियों पर होने वाले अत्याचार से जुड़ा कोई केस हम अपने शो में नहीं दिखाते हैं। इससे समाज पर बुरा असर पड़ता है। हमारी कोशिश रहती है कि 'सीआईडी' पूरा परिवार साथ बैठकर देखे।' गौर करें तो जहाँ  महिला प्रधान धारावाहिकों में आमतौर पर घरेलू राजनीति दिखाई जाती है वहीं पुरुष प्रधान धारावाहिकों में सामाजिक सरोकार से जुड़े कथ्य को अधिक महत्त्व दिया जाता है।

 स्टार प्लस पर प्रसारित हो रहे धारावाहिक 'सरस्वतीचंद्र' में  सरस्वतीचंद्र की शीर्ष भूमिका में गौतम रोड़े की उपस्थिति उल्लेखनीय है। गौतम कहते हैं,' मैं लकी हूं कि मुझे छोटे पर्दे के महिला प्रधान होने के बावजूद 'सरस्वतीचंद्र' में शीर्ष भूमिका निभाने का मौका मिला है। आमतौर पर टेलीविज़न पर एक्टर्स को ऐसे मौके नहीं मिलते हैं। मुझे लगता है कि जल्द ही वह वक़्त आएगा जब इंडियन टेलीविज़न भी फिल्मों की तरह पुरुष प्रधान हो जायेगा।' सरस्वतीचंद्र' में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे चेतन पंडित भी ऐसा ही मानते हैं। वह कहते हैं,'पांच वर्ष पहले इंडियन टेलीविज़न महिला प्रधान था,पर अब नहीं है। अब मेरे जैसे अभिनेताओं को भी अच्छे और महत्वपूर्ण रोल निभाने के मौके मिलते रहते हैं।' क्या हुआ तेरा वादा' और 'बड़े अच्छे लगते हैं' में अभिनय कर चुके मोहित मल्होत्रा भी चेतन पंडित की बातों से इत्तेफाक रखते हैं।  मोहित कहते हैं,' अब टीवी महिला प्रधान नहीं है। उदहारण है राम कपूर,रोनित रॉय और गुरमीत चौधरी की लोकप्रियता। ये सभी इंडियन टेलीविज़न को रुल कर रहे हैं।'  मोहित और चेतन की बातों से मनीष गोएल इत्तेफाक नहीं रखते हैं। वह कहते हैं,'इसमें कोई दो राय नहीं है कि इंडियन टीवी पर 90 प्रतिशत धारावाहिक महिला प्रधान हैं। इसकी वजह टेलीविज़न की महिला दर्शकों की बड़ी संख्या है।'
-सौम्या अपराजिता
 

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