-सौम्या अपराजिता 
प्रशिक्षण से कला निखरती है। कला के प्रति एक नया दृष्टिकोण लेकर आता है प्रशिक्षण। ...और जब बात निर्देशन कला की हो,तो प्रशिक्षण हमेशा ही सकारात्मक परिणाम लेकर आती है। 'तीन थे भाई' से निर्देशन की पारी की शुरुआत करने वाले निर्देशक मृगदीप सिंह लाम्बा के लिए भी फिल्म मेकिंग में प्रशिक्षण लाभदायक रहा। प्रशिक्षण के कारण ही उन्हें फिल्म मेकिंग की तकनीक की बेहतर जानकारी है,फिल्म मेकिंग के प्रति वे ज्यादा गंभीर हैं। यही वजह है कि फरहान अख्तर और रितेश सिधवानी जैसे प्रतिष्ठित निर्माताओं ने उन्हें अपनी नयी फिल्म 'फुकरे' के निर्देशन की जिम्मेदारी सौंपी। मृगदीप सिंह लम्बा की बातें उन्हीं के शब्दों में ..
फिल्मों का शौक था...
दिल्ली में पला-बढ़ा हूं। वहीं से स्कूलिंग की। फिर इंजीनियरिंग की। बचपन से ही कहानियों और फिल्मों का शौक था। एक दिन घर पर यूँ ही बातचीत चल रही थी। मैंने पापा से कहा कि मैं फिल्म स्कूल ज्वाइन करना चाहता हूं। पापा ने अपनी हांमी भर दी। इस तरह मैंने फिल्म स्कूल ज्वाइन किया और वहां से फिल्म मेकिंग की ट्रेनिंग ली। उसके बाद जैसा होता है ....ऐड फिल्में और शार्ट फ़िल्में बनायी। फिर असिस्टेंट डायरेक्टर बना। ...और फिर पहली फिल्म' तीन थे भाई' का निर्देशन करने का मौका मिला और अब बतौर डायरेक्टर मेरी दूसरी फिल्म 'फुकरे' रिलीज़ हो रही है।
क्लियर नजरिया मिला
बहुत फायदेमंद रहा। फिल्म मेकिंग की बेसिक जानकारी मिली। क्लियर नजरिया मिला। फिल्म मेकिंग की पढाई के कारण ही  फिल्म मेकिंग को मैं अलग नजरिये से देखता हूं। फिल्म मेकिंग की तकनीक के बारे में मुझे अच्छी जानकारी हो गयी है।
आईडिया क्लिक कर गया
सबसे पहले 'फुकरे' का आईडिया मेरे  को -राइटर को आया। उनका आईडिया दिल्ली बेस्ड लड़के की मस्ती भरी कहानी से जुड़ा हुआ था। वह आईडिया क्लिक कर गया और हमने उस आईडिया को डेवेलप किया। 'फुकरे' के कैरेक्टर्स का स्केच लिखा गया और फिर एक कहानी बन गयी।
हर बंदा एसोसिएट करेगा
 हमारी फिल्म का टाइटल अनोखा है। हमारी फिल्म का फ्लेवर भी फिल्म के टाइटल जैसा ही है। 'फुकरे' फ्रेश,यूनिक और देसी फिल्म है। हमारी फिल्म से हर बंदा एसोसिएट करेगा। 'फुकरे' देखने वाले दर्शक हमारी कहानी को एन्जॉय करेंगे। उन्हें पैसा वसूल एंटरटेनमेंट मिलेगा।
फरहान और रितेश ने रचनात्मक सहायता की
फरहान अख्तर को मैं 'डॉन' में असिस्ट कर चुका हूं,तो उनके साथ मेरा वर्किंग इक्वेशन बहुत अच्छा है। फरहान और रितेश दोनों इजी गोइंग हैं। वे बेहद फ्रेंडली और रिलैक्स रहते हैं। 'फुकरे' की मेकिंग में भी उन दोनों ने रचनात्मक सहायता की है। स्क्रीनप्ले और संवाद को बेहतर बनाने में भी फरहान  और रितेश ने हमारी मदद की। प्रोड्यूसर के रूप में दोनों के साथ काम करने का अनुभव बेहद यादगार और सुहाना रहा है।
जरुरत थी फ्रेशनेस
हमारी फिल्म की जरुरत थी फ्रेशनेस। फ्रेश चेहरों के कारण हमारी फिल्म फ्रेश लग रही है। साथ ही 'फुकरे' के कैरेक्टर्स बेहद यंग हैं इसलिए नए चेहरे लेना जरुरी था। हालांकि,मनजोत सिंह 'फुकरे' के पहले चार फिल्में कर चुके हैं,पर मुख्य कलाकार के रूप उनकी यह पहली फिल्म है।
'फुकरे' के बाद 
कुछ आईडिया है दिमाग में,पर ' फुकरे' की रिलीज़ के बाद ही उन्हें डेवलप करूंगा। फिलहाल तो 'फुकरे' के पोस्ट प्रोडक्शन में बिजी हूं।