-सौम्या अपराजिता 

'सांवरियां' के प्रदर्शन के समय सोनम कपूर से जब पहली मुलाकात हुई थी,तब भी वे उतनी ही सहज और सरल थीं जितनी आज हैं। आज भी खुद को संबोधित करने के लिए वे  'मैं' नहीं,बल्कि  'हम' का प्रयोग करती हैं। हालाँकि,अनिल कपूर की इस खूबसूरत और स्टाइलिश बिटिया का मानना है कि अब वे बड़ी हो गयी हैं,परिपक्व हो गयीं हैं। जीवन के उद्देश्य से उनका परिचय हो गया है। इन दिनों सोनम की उम्मीदें 'राँझना' के प्रदर्शन पर टिकी हुई हैं। उन्हें लगता है कि 'राँझना' उनके फ़िल्मी सफ़र में मील का पत्थर साबित होगी। सोनम कपूर से बातचीत। 



'राँझना' को लेकर दर्शकों में उत्सुकता है। व्यक्तिगत रूप में आपको कैसी प्रतिक्रिया मिल रही है?
-बहुत अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। लोगों को गाने पसंद आ रहे हैं। मेरी और धनुष  की जोड़ी भी सबको पसंद आ रही है। बनारस के सीन पसंद आ रहे हैं। सीन और डायलाग से नॉर्थ का फ्लेवर  है जो सब पसंद कर रहे हैं। 

'राँझना' के लिए आपने मुंबई से बनारस का सफ़र तय किया। बनारस में शूटिंग का कैसा अनुभव रहा?
-थोडा मुश्किल था,पर हमने बड़ी ख़ुशी से काम किया। जो लोग थे उनमें उत्सुकता थी कि हमें अच्छी फिल्म बनानी है। सभी उम्मीद कर रहे थे कि अच्छी फिल्म बनेगी। यह बात ध्यान में रखकर ही हमने बहुत हार्ड वर्क किया। सबको लगा कि हम अच्छा काम करेंगे,ख़ुशी से काम करेंगे तो अच्छी फिल्म बनेगी। बहुत गंदगी थी,बहुत कूड़ा-कचरा था सब जगह ..मगर हम अपने काम में मगन रहें । बनारस की जो एनर्जी है न ...वह कमाल की है। वहां बहुत सारे शिव भक्त होते हैं। बहुत सारे लोग वहां स्पिरिचुअल जर्नी के लिए आते हैं। ...तो इन  सब चीजों को लेकर बनारस में जो एनर्जी है  वैसी इंडिया के किसी दूसरे शहर में नहीं है। यही वजह है कि बनारस को मिनी इंडिया कहते हैं। वहां बहुत सारे डिफरेंट लोग रहते हैं। हिन्दू,मुस्लिम,तमिलियन,पंजाबी ...सभी तरह के लोग हैं वहां पे।

धनुष का साथ कैसा रहा? वे तमिलनाडु से हैं और 'राँझना' उनकी पहली हिंदी फिल्म है। उनके साथ आपके तालमेल के विषय में जानना चाहेंगे।
-जी,वे बहुत अच्छी अंग्रेजी बोल लेते हैं,तो उनके साथ कम्यूनिकेट करने में कोई तकलीफ नहीं हुई। वो इतने अच्छे अभिनेता हैं कि उनके लिए लैंग्वेज कोई बैरिअर नहीं था। उनके लिए लैंग्वेज कोई दीवार नहीं थी। वे बहुत अच्छे तरीके से एक्टिंग कर लेते थे। वे दूसरों की बहुत अच्छी नक़ल करते हैं। उन्हें भी गाने बेहद पसंद हैं। ...तो  'राँझना के' हमारे जो लेखक हैं, वे  डायलाग  बोलते थे और धनुष उनकी नक़ल करता था। 

सोनम किस अंदाज़ में 'राँझना' में दिखेंगी? क्या खास है आपकी भूमिका में?
-हमारा अंदाज़ तो नहीं,पर जोया का अंदाज़ दर्शक जरूर देख पाएंगे। वह बहुत ही साधारण लड़की है।वह बहुत ही स्ट्रोंग भी है। उसे पता है कि जिंदगी से उसे क्या चाहिए। बहुत ही अच्छी लड़की है। नार्मल लड़की है। मतलब ...अच्छी भी है और बुरी भी ...बहुत सारे शेड्स हैं उसके कैरेक्टर में। कह सकती हूं कि वह बहुत ही रियल है।

जोया किस हद तक सोनम जैसी है?
-एक्चुअली ...बहुत हद तक जोया से रिलेट कर पाती हूं। हमने बहुत सारे किरदार अभी तक निभाये हैं उन सबसे यह अलग है। 'राँझना' मेरी सातवीं फिल्म है। जोया का किरदार मेरे सबसे करीब है। बहुत ही रियल लड़की है। मिडिल क्लास है। उसकी तरह ही हमें  भी पता है कि हमें  जिंदगी से क्या चाहिए। 

'राँझना' से पहले आप बड़े बजट की बड़ी फिल्मों का हिस्सा रही हैं। ऐसे में 'राँझना' जैसी छोटे बजट की फिल्म से जुड़ने के दौरान किस तरह की चुनौतियों से आप गुजरीं?
-ऐसी कोई बात नहीं है।हमें यह फिल्म बहुत पसंद आई थी। यह कैरेक्टर बहुत पसंद आया था। और हमें लगा कि हमें ऐसी वाली लव स्टोरी करनी है जिसके कैरेक्टर्स  रियल हों,जो एक्चुअल प्रॉब्लम से गुजरते हों,जो लोग रियल इंडिया में रहते हों। ..तो 'राँझना' की मेकिंग मेरे लिए बहुत अच्छी जर्नी थी। शूटिंग थोड़ी परेशानी होती है या बजट में थोड़ी  डिसकम्फर्ट होती है,तो यह हमारे लिए कोई 'बिग डील' नहीं है। 

आनंद एल रॉय निर्देशक के तौर पर कैसे लगें? उनके निर्देशन में अभिनय का अनुभव कैसा रहा?
-जी वे तो बहुत ही मंझे हुए निर्देशक हैं। उन्होंने बहुत सारे टीवी सीरियल किये हैं। उनके साथ काम करना जॉय की तरह था। वे बहुत प्यार से काम करवाते हैं ।अपने एक्टर्स को प्यार देकर उनसे प्यार से काम करवाते हैं। कोई चिल्लाना नहीं है, कोई टेंशन नहीं है। बहुत ही ख़ुशी से काम करवाते हैं।

'सांवरिया' से लेकर 'राँझना' तक एक बड़ा दौर गुजरा है। अभिनय के अब तक के सफ़र में एक अभिनेत्री के रूप में आप किस तरह के बदलाव खुद में देखती हैं?
-बड़ी हो रही हूं। और हमें  लगता है कि आप जितना काम करते हो उतने बेहतर होते जाते हो। आपमें इम्प्रूवमेंट होती है। उम्मीद है कि एक एक्ट्रेस के रूप में और भी बेहतर करुँगी।' राँझना' में हमने अपनी और से बेस्ट देने की कोशिश की है। उम्मीद है कि दूसरी फिल्म में और बेहतर काम करूंगी। 

जिस तरह की फिल्मों का चुनाव आप इन दिनों कर रही है वे लीक से हटकर हैं,वहीं दूसरी हीरोइनें बड़े बजट की फिल्मों पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं। क्या फिल्मों के चुनाव में आप ज्यादा सतर्क हो गयी हैं? 
-ऐसा नहीं है। हमने बड़े बजट की फ़िल्में की हैं। और उन्हें करने का अनुभव भी अच्छा रहा है। हमारे लिए स्क्रिप्ट अब ज्यादा मायने रखने लगा है। अब हमारा  मकसद अच्छी फिल्मों का हिस्सा बनना है।

..और 'राँझना' के बाद 'भाग मिल्खा भाग' के साथ अच्छी फिल्मों से जुड़ने का सिलसिला जारी रहेगा? 
-'भाग मिल्खा भाग' में मेरी भूमिका छोटी,मगर महत्वपूर्ण  है। यह फिल्म इसलिए की क्योंकि फरहान अख्तर के साथ काम करने की हमारी इच्छा थी।