Saturday, May 25, 2013

सुरीले सितारे . .

-सौम्या अपराजिता 

            हिंदी फिल्मों में संगीत और अभिनय का ताना-बाना इस कदर जुड़ा है कि एक के बिना दूसरे की मौजूदगी बुझी-बुझी सी लगती है। दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू लगने लगते हैं। तभी तो . . .हिंदी फ़िल्मी दुनिया के आकाश में टिमटिमाने वाले सितारों की संगीत में रूचि हमेशा सुखद परिणाम लेकर आती है। यही वजह है कि रुपहले पर्दे को रोशन करने वाले सितारे जब अभिनय के साथ-साथ सुर,लय और ताल से रिश्ता जोड़ते हैं,तो उनके प्रति दर्शकों का ही नहीं,बल्कि फ़िल्मी दुनिया के बाशिंदों का भी ध्यानाकर्षण होता है। उन्हें विशेष सम्मान और प्रोत्साहन मिलता है। वे सिर्फ 'सितारे' नहीं,बल्कि 'सुरीले सितारे' बन जाते है। इन सितारों की पहली प्राथमिकता तो अभिनय है,पर अवसर मिलने पर वे सुरों से दोस्ती करने में नहीं हिचकते। हिंदी फिल्मों में अभिनय और सुरों का अनूठा तालमेल प्रस्तुत करने वाले सितारों पर एक नजर . . . . .
पिछले दिनों प्रदर्शित हुई फिल्म 'थ्री जी' दर्शकों को कुछ खास पसंद नहीं आई,पर इस फिल्म में एक खास बात थी। 'थ्री जी' में नायक-नायिका की भूमिका निभा रहे नील नितिन मुकेश और सोनल चौहान दोनों ही अभिनय के साथ-साथ संगीत में भी पारंगत हैं। नील ने अपनी गायन प्रतिभा का परिचय फिल्म 'आ देखें जरा' के शीर्षक गीत में दिया था जबकि सोनल को अपनी गायन-शैली से श्रोताओं को परिचित कराने का मौका मिला 'थ्री जी' से। सोनल ने 'थ्री जी' के गीत ' कैसे बताऊं, में अपनी कर्णप्रिय आवाज का जादू चलाया। सोनल कहती हैं,'मुझे म्यूजिक से हमेशा से लगाव था,पर मैं डरती थी कि बिना ट्रेनिंग के  शायद ही किसी फिल्म में गाना गा पाउंगी। खुशनसीब हूं कि ' थ्री जी' में मुझे बिना किसी ट्रेनिंग के गाने का मौका मिला।' सोनल प्रशिक्षित गायिका नहीं हैं जबकि नील नितिन मुकेश को गायन प्रतिभा विरासत में मिली है। उनके पिता नितिन मुकेश और दादा मुकेश ने हिंदी फिल्मों के कई गीतों को अपनी सुरीली आवाज से सजाया है। पिता और दादा से मिली संगीत की विरासत को सँभालते हुए नील अब गायन के साथ-साथ संगीत निर्देशन में भी रूचि ले रहे हैं। उन्होंने तय किया है कि  वे अपने प्रोडक्शन हाउस की पहली फिल्म में गायन के साथ-साथ संगीत निर्देशन भी करेंगे। 
थ्री जी' से पूर्व प्रदर्शित हुई फिल्म 'स्पेशल छब्बीस' से हिंदी फिल्मों को एक नयासुरीला सितारा मिला। बात हो रही है खिलाडी कुमार की। अक्षय कुमार ने  'स्पेशल छब्बीस' के  रोमांटिक गीत 'मुझमें तू . .' को अपनी आवाज से कुछ ऐसा सजाया कि वह गीत देखते-ही-देखते श्रोताओं के दिल तक पहुँच गया। अक्षय बताते हैं,'मुझमें तू' की रिकार्डिंग के पहले मैंने तीन घंटे तक प्रक्टिस की थी। मैं इस गाने को पूरे पैशन के साथ गाना चाहता था। अपने मकसद में मैं कामयाब रहा और सभी ने 'मुझमें तू' को पसंद किया।' अक्षय कुमार की पसंदीदा सह कलाकार रह चुकी प्रियंका चोपड़ा का सुर,लय और ताल से लगाव औपचारिक रूप ले चुका है। प्रियंका की पहचान अब सिर्फ अभिनेत्री की ही नहीं, बल्कि गायिका की भी है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्टार पर अपना म्यूजिक अल्बम 'इन माई सिटी' रिलीज़ किया जिसने सिर्फ भारतीय ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय श्रोताओं के कानों में भी मधुर रस घोला। दरअसल प्रियंका बचपन से संगीत के प्रति आकर्षित रही हैं। पिता अशोक चोपड़ा के सुरीले लगाव ने प्रियंका को सुरों की दुनिया के करीब लाया। यही वजह है कि उच्च शिक्षा के लिए यु एस ए प्रवास के दौरान प्रियंका खुद को पाश्चात्य संगीत में प्रशिक्षित करने से नहीं रोक पायीं। . . . और इस तरह प्रियंका को अभिनय की बारीकियों के पूर्व सुर,लय और ताल की समझ हो गयी। जब इस देसी गर्ल ने हिंदी फिल्मों में अभिनय की पारी की शुरुआत की तो कई निर्माताओं ने उन्हें अपनी आवाज में गीत गाने का अवसर दिया,पर प्रियंका ने इस अवसर का लाभ नहीं उठाया। उन्होंने खुद को अभिनय तक ही केन्द्रित रखा। अब जब प्रियंका हिंदी फिल्मों में स्थापित हो चुकी हैं, तो वे अपनी गायन प्रतिभा को निखरने और संवरने का भरपूर मौका दे रही हैं। 
प्रियंका की समकालीन अभिनेत्रियों में करीना कपूर ने भी समय-समय पर खुद को प्रभावशाली अभिनेत्री के साथ-साथ अच्छी गायिका साबित करने की कोशिश की है।' फ़िदा','अजनबी','मैं प्रेम की दीवानी हूं','कभी ख़ुशी कभी गम', 'देव' और 'कुर्बान' में करीना ने अपनी सुरीली आवाज का परिचय दिया।' देव' में करीना द्वारा गया  गीत 'जब नहीं आये थे तुम' उल्लेखनीय है। आदेश श्रीवास्तव निर्देशित इस गीत में करीना ने साबित कर दिया कि वे जो ठान लेती हैं वह करके दम लेती हैं। करीना के पूर्व श्रीदेवी और माधुरी दीक्षित ने भी गायन में अपना हाथ आजमाकर दर्शकों को चकित किया है। हालाँकि इन दोनों अभिनेत्रियों का सुरीला प्रयास बेहद प्रभावशाली नहीं रहा,फिर भी चर्चा का विषय जरुर बना। उल्लेखनीय है कि श्रीदेवी ने 'चांदनी' के शीर्षक गीत को अपनी आवाज दी थी,तो माधुरी ने' देवदास' के गीत 'काहे छेड़े मोहे' में शास्त्रीय संगीत में अपनी रुचि का परिचय दिया था। श्रीदेवी और माधुरी ने अपनी सुरीली पहचान को सीमित रखा,जबकि उनकी समकालीन रही जूही चावला ने अभिनय के साथ-साथ सुरों से कुछ ऐसी दोस्ती कर ली कि उनकी पहचान अब सिर्फ अभिनेत्री के रूप में नहीं,बल्कि गायिका के रूप में भी है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में प्रशिक्षण लेकर जूही ने अपनी गायन प्रतिभा का मांज कर गायिका के रूप में खुद को स्थापित किया है । 'भूतनाथ' के गीत 'चलो जाने दो' में जूही ने अपनी मोहक मुस्कान के साथ-साथ अपने सुरीले अंदाज़ से भी से भी दर्शकों का मन मोह लिया। 
खान त्रयी ने भी अभिनय के साथ-साथ गायन में हाथ आजमाया है। बात हो रही है शाहरुख खान,सलमान खान और आमिर खान की। शुरुआत की थी मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान ने। आमिर ने 'गुलाम' का गीत 'आती क्या खंडाला' क्या गाया . . जैसे दर्शकों पर आमिर की आवाज का नशा ही छा गया। आमिर से प्रेरित होकर शाहरुख़ खान ने भी गायन में अपनी किस्मत आजमा ली। 'जोश' के गीत 'अपुन बोला' को शाहरुख़ ने अपनी आवाज दी,तो सलमान खान कहाँ पीछे रहने वाले थे। सलमान ने 'हेलो ब्रदर' में 'चांदी की डाल' पर गाकर बता दिया कि वे भी किसी से कम नहीं हैं। सलमान खान के मित्र संजय दत्त ने फिल्म 'ख़ूबसूरत' की नायिका शिवानी को अपनी सुरीली आवाज में 'ओ शिवानी' कहकर बुलाया तो , पता चल गया कि संजय अभिनय के साथ-साथ सुरों से भी जल्दी दोस्ती कर लेते हैं। संजय दत्त को बड़ा भाई कहने वाले रितिक रोशन ने अपने चाचा राजेश रोशन से संगीत की बारीकियां सीखकर उसका प्रयोग किया 'काइट्स' के गीत 'काइट्स इन द स्काई' में किया। रितिक बताते हैं,'म्यूजिकल  फैमिली से होने के बाद भी मैं  'काइट्स इन द स्काई' गाने से घबरा रहा था। मेरे चाचा ने मुझे भरोसा दिलाया कि मैं गा सकता हूं।' रितिक के गायन का बेहतरीन नमूना दिखा 'ज़िन्दगी न मिलेगी दोबारा' के गीत 'सेनोरिटा . . . ' में। इस गीत में रितिक का साथ दिया फरहान अख्तर और अभय देओल ने। हालांकि, सुरों की दुनिया में प्रवेश करने का अभय देओल का यह पहला प्रयास था,पर फरहान अख्तर का यह दूसरा प्रयास था। फरहान अपनी पहली ही फिल्म 'रॉक औन' में खुद को अभिनेता के साथ-साथ गायक के रूप में स्थापित कर चुके हैं। 'रॉक ऑन' के लगभग सभी लोकप्रिय गीतों को अपनी आवाज देकर फरहान ने सुरों की दुनिया में दमदार दस्तक दी। रितिक ,फरहान और अभय से पूर्व अभिषेक बच्चन ने रुपहले पर्दे पर अपना सुरीला परिचय दिया था। 'ब्लफमास्टर' के गीत 'राइट हिअर राइट नाउ' गाकर अभिषेक ने बता दिया कि वे भी सुरों की दुनिया में दखल रखते हैं। अब बात अभिषेक बच्चन के पिता और अभिनय के साथ-साथ सुरों के भी शहंशाह अमिताभ बच्चन की। अमिताभ बच्चन ने एक दर्जन से भी अधिक फिल्मों के गीतों को अपनी मधुर आवाज से सजाया है। सुर,लय और ताल से अमिताभ बच्चन की दोस्ती की बानगी उनके द्वारा गए गीतों की लोकप्रियता में दिखती है। अमिताभ द्वारा गाये गए यादगार गीत हैं,'नीला आसमान सो गया',ये कहाँ आ गए हम,रंग बरसे भींगे चुनरवाली,होरी खेले रघुबीरा,मैं यहाँ तू वहां और कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है। यहाँ उल्लेखनीय है कि रेखा ने भी 'ख़ूबसूरत' में एक गीत 'सारे नियम तोड़ दो' में अपनी सुरीली आवाज से श्रोताओं का परिचय कराया था।
कुछ ऐसे सितारें भी हैं जो अभिनय की दुनिया में प्रवेश से पूर्व ही अपनी गायन प्रतिभा से परिचित हो जाते हैं। यही वजह है कि उन्हें जब भी फिल्मों में सुर साधने का मौका मिलता है,तो वे पीछे नहीं हटते हैं। ऐसे सितारों की सूची में आयुष्मान खुराना,श्रुति हासन,जिया खान,आदित्य नारायण,अली जफ़र और ट्विंकल बाजपेयी उल्लेखनीय हैं। कमल हासन की बिटिया श्रुति हासन ने अपनी फिल्म 'लक' के शीर्षक गीत 'आजमा लक' को अपनी आवाज दी,तो उदित नारायण के सुपुत्र आदित्य नारायण ने अपनी पहली फिल्म 'शापित' के गीतों को अपनी आवाज से संवारा। 'निःशब्द' में एक गीत जिया खान की आवाज में रिकॉर्ड हुआ था,पर वह फिल्म का हिस्सा नहीं बन सका। ट्विंकल बाजपेयी ने सुरीले मंच सा रे गा मा से हिंदी फिल्मों में अभिनय का सफ़र तय किया,ऐसे में यह असंभव था कि वे अपनी फिल्म 'हौंटेड थ्री डी' के गीतों को अपनी मधुर आवाज से नहीं सजातीं। सुरीले सितारों की सूची में नया-नवेला नाम है आयुष्मान खुराना का। अपनी पहली ही फिल्म 'विक्की डोनर' में आयुष्मान ने साबित कर दिया कि वे अभिनय ही नहीं संगीत में भी पारंगत हैं। उन्होंने 'विक्की डोनर' के गीत 'पानी दा रंग' को सिर्फ अपनी आवाज ही नहीं दी,बल्कि धुन से भी उन्होंने ही सजाया है। नयी फिल्म 'नौटंकी साला' के गीत 'सडी गली आजा . '. की लोकप्रियता का भी श्रेय भी आयुष्मान को जाता है। इस गीत को भी आयुष्मान ने अपनी आवाज और धुन से कर्णप्रिय बनाया है।


सुरों के सिपाही अभिनय के रणक्षेत्र में----
जब अभिनय की दुनिया के लोकप्रिय चेहरे अपना सुरीला परिचय देते हैं,तो संगीत जगत के लोकप्रिय चेहरे भी अभिनय की दुनिया में दस्तक देने से नहीं हिचकते। मौजूदा दौर में अभिनय के रणक्षेत्र में कूदने वाले सुरों के सिपाहियों की सूची . .

आशा भोंसले - माई 
हिमेश रेशमिया - आपका सुरूर , कजरारे 
सोनू निगम - जानी दुश्मन , लव इन नेपाल, काश आप हमारे होते 
अली जफ़र - तेरे बिन लादेन , मेरे ब्रदर की दुल्हन , चश्मेबद्दूर 
लकी अली - सुर 
हर्द कौर - पटियाला हाउस 
मिका सिंह- लूट 
शान- दमन 









No comments:

Post a Comment

आपकी टिप्पणियों का स्वागत है...