Sunday, June 12, 2011

ऐसी है सुहाना.....



कभी चंचल, कभी मासूम, कभी नाराजगी के भाव, तो कभी बालसुलभ मुस्कान.. ऐसी ही है सुहाना। छोटे पर्दे की इस सबसे दुलारी नायिका की छवि सबसे पहले लेखिका मिताली भट्टाचार्य की कल्पना में उभरी थी। मिताली बताती हैं, ''ससुराल गेंदा फूल की कहानी मूलत: शेक्सपियर के प्ले द टेमिंग ऑफ द श्रयू से प्रेरित है। हमने उसे भारतीय परिप्रेक्ष्य में ढालने की कोशिश की है। द टेमिंग ऑफ द श्रयू की नायिका स्ट्रांग माइंड की है। वह वाद-विवाद करती है। थोड़ी नकचढ़ी है। एक युवक उसे अपने प्यार से बदल देता है, जबकि हमारे धारावाहिक की नायिका सुहाना को ससुराल वाले अपने प्यार से बदल देते हैं।''
धीरे-धीरे हुई समझदार
धारावाहिक की कहानी के मुताबिक सुहाना विलासितापूर्ण जीवन जीने की आदी रही है। दिल्ली के उच्चवर्गीय एकल परिवार में पली-बढ़ी सुहाना की शादी जब एक मध्यमवर्गीय संयुक्त परिवार में होती है, तो जिंदगी के प्रति उसका नजरिया बदल जाता है। ससुराल में बड़ी मां के रूप में उसे मां का प्यार मिलता है, जिससे वह बचपन से महरूम रही है। मिताली कहती हैं, ''बड़ी मां उसे धैर्यवान बनाती है। वह उसके देखने और सोचने का नजरिया बदल देती हैं। सुहाना के ससुराल में पैसे कम हैं। सभी की फिक्स्ड इनकम है। उन्हें उसी में खर्चा चलाना है। उसके लिए इस नए माहौल में एडजस्ट करना थोड़ा मुश्किल है। लेकिन उसमें समझने की काबिलियत है। वह धीरे-धीरे ससुराल के नए माहौल में घुलमिल जाती है।'' सुहाना ने नई दिल्ली की अपटाउन लड़की से पुरानी दिल्ली की मिडिल क्लास बहू तक का सफर बेहद रोचक अंदाज में तय किया है। दिल्ली की पृष्ठभूमि में सुहाना का कैरेक्टर गढ़ने की खास वजह थी। मिताली बताती हैं, ''हम ओल्ड और न्यू दिल्ली के कल्चर के बीच के डिफ्रेंस को दिखाना चाहते थे।''
आधुनिक युवाओं की झलक
सुहाना के कैरेक्टर को मिताली अपने इर्द-गिर्द महसूस करती हैं। मिताली बताती हैं, ''आजकल के युवा सुहाना जैसे ही होते हैं। अपने इर्द-गिर्द मैं सुहाना जैसे कितने ही लोगों को देखती हूं। मेरा इक्कीस साल का बेटा है, उसकी भी सोच काफी हद तक सुहाना जैसी ही है। खासकर, बड़े शहरों में सुहाना जैसे कई चेहरे मिल जाएंगे, जिनके पास बेहद पैसा है, जो थोड़े नकचढ़े हैं, जिन्हें वाद-विवाद करना पसंद है।'' मिताली सुहाना के माध्यम से नई पीढ़ी की सकारात्मक सोच को भी बयां करने का प्रयास करती हैं। वह बताती हैं, ''सुहाना में पॉजिटिव वैल्यू हैं, जो आज की जनरेशन में भी है। उसका दिल विशाल है। उसे यदि कोई बात समझाता है, तो वह समझ जाती है। वह लोगों की बातों को ध्यान से सुनती है, समझती है और फिर उस पर अमल करने की कोशिश भी करती है।''
आकर्षण सुहाना का
सुहाना, इस नाम के सामने आते ही एक ऐसा खूबसूरत चेहरा आंखों के सामने घूमता है, जिसके व्यक्तित्व में गजब का आकर्षण है, जो सबको अपना मुरीद बना लेती है। ससुराल गेंदा फूल की नायिका सुहाना का नाम भी कुछ इन्हीं वजहों से मिताली को सूझा। वह बताती हैं, ''मेरे मन में ही सुहाना का नाम आया था। सुहाना, मतलब ऐसी लड़की जिसे सभी पसंद करते हैं। तो इस नाम से सुहाना की छवि मेरे दिमाग में आयी। अक्सर लेखक एक नाम से इतना प्रेरित हो जाता है कि उस नाम के अर्थ को कैरेक्टर में ढालने की कोशिश करता है।''
अनिश्चितता का आकर्षण
मिताली मानती हैं कि सुहाना के व्यवहार की अनिश्चितता ही उसे दर्शकों के बीच लोकप्रिय बनाती है। मिताली कहती हैं, ''सुहाना के व्यवहार का पूर्वानुमान करना मुश्किल है। जहां दूसरे धारावाहिकों की नायिका किस स्थिति में कैसी प्रतिक्रिया देगी, इसका अनुमान दर्शक आसानी से लगा लेते हैं, वहीं सुहाना कब क्या करेगी? क्यों करेगी? और कैसे करेगी? इसका अनुमान लगाना बेहद मुश्किल है। सुहाना के व्यवहार की यही अनिश्चितता दर्शकों को आकर्षित करती है।''
सिक्के के दो पहलू
रागिनी खन्ना ने अपनी चंचल मुस्कुराहट से सुहाना के कैरेक्टर को जीवंत कर दिया है। अब तो रागिनी और सुहाना, ये दोनों नाम एक-दूसरे के पर्यायवाची हो गए हैं। मिताली भी इस बात से सहमत हैं। वह कहती हैं, ''मैंने रागिनी को राधा की बेटियां.. कुछ कर दिखाएगी धारावाहिक में देखा था। ससुराल गेंदा फूल की कास्टिंग के दौरान सिर्फ उसका चेहरा ही मेरे सामने दिख रहा था। रागिनी के चेहरे में सुहाना जैसी निश्छलता हमें नजर आई। वह अगर कुछ बदतमीजी करती है या रूड भी होती है तो भी उसकी एक मुस्कान उसकी गलतियों को भुला देने के लिए काफी होती है।'' सुहाना के कैरेक्टर ने रागिनी खन्ना को लोकप्रियता को नई ऊंचाइयां दी हैं। रागिनी कहती हैं, ''सुहाना ने मुझे उम्मीद से चौगुना दिया है। अब तो सुहाना मेरी पर्सनालिटी का हिस्सा बन चुकी है। जब सेट पर जाती हूं, तो मेरी पर्सनालिटी में छिपी सुहाना जीवित हो जाती है। सुहाना और रागिनी अब एक ही सिक्के के दो पहलू हो गए हैं।''
फैक्ट्स फटाफट
* ससुराल गेंदा फूल बंगाली सीरियल ओगो बोधो सुंदरी का हिंदी संस्करण है। स्टार जलसा पर इस सीरियल की लोकप्रियता के मद्देनजर इसे स्टार प्लस पर नए अंदाज में प्रसारित करने का निर्णय किया गया।
* ओगो बोधो सुंदरी का भी लेखन मिताली भट्टाचार्य ने किया था।
* ससुराल गेंदा फूल के लेखन में मिताली का सहयोग जामा हबीब करते हैं। जामा ससुराल गेंदा फूल के सह निर्माता भी हैं।
* सुहाना के कैरेक्टर के लिए रागिनी खन्ना से पूर्व लगभग सौ नयी लड़कियों के ऑडिशन किए गए थे।
-सौम्या अपराजिता

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