Wednesday, January 5, 2011

यादों में बस गयीं जो..

यदि अभिनेता अपनी लार्जर दैन लाइफ छवि से दर्शकों को प्रभावित करते हैं, तो अभिनेत्रियां अपनी खूबसूरती और आकर्षण से दर्शकों का मन मोह लेती हैं। खूबसूरती और ग्लैमर से परे कुछ अभिनेत्रियां अपनी अदायगी से भी दर्शकों की प्रशंसा बटोरती हैं। इश्किया में विद्या बालन, राजनीति में कट्रीना कैफ, दबंग में सोनाक्षी सिन्हा और गुजारिश में ऐश्वर्या राय बच्चन ने कुछ ऐसा ही किया।
['इश्किया' की कृष्णा]
इश्किया में कृष्णा की भूमिका में ंअपने उम्दा अभिनय से विद्या बालन ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि दूसरी अभिनेत्रियों से क्यों विशिष्ट हैं..। ग्लैमर की चाश्नी में डूबी अभिनेत्रियों को साड़ी में लिपटी विद्या ने बता दिया कि अभिनेत्री का आभूषण उसकी आंखें और उसका अभिनय होना चाहिए..ना कि उसके डिजाइनर कपड़े। सरल-सौम्य छवि वाली विद्या ने इश्किया में बंदूक चलाती और गालियां देती कृष्णा की बोल्ड भूमिका में खुद को यूं ढाला कि हिंदी सिनेमा में नायिकाओं द्वारा निभायी गयी यादगार भूमिकाओं में कृष्णा शुमार हो गयी। विद्या कहती हैं,'बहुत अच्छा लगता है जब कोई आपके पास ऐसी भूमिका निभाने का ऑफर लेकर आता है, जो आपकी इमेज से बिल्कुल अलग हो।'
['राजनीति' की इंदु]
कट्रीना कैफ के फिल्म कॅरियर के लिए यह वर्ष यादगार रहा। इसलिए नहीं कि हर बार की तरह इस वर्ष भी उनकी सभी फिल्में सफल रहीं, बल्कि इसलिए क्योंकि इस वर्ष उन्होंने अभी तक के अपने कॅरियर की सबसे यादगार भूमिका निभायी। राजनीति में इंदु की प्रभावशाली भूमिका में कट्रीना ने अपने शानदार अभिनय से दर्शकों के दिल में बसी अपनी ग्लैमरस यादों को भुला दिया। राजनीतिक महत्वाकांक्षा और भावनाओं के उहापोह में झूलती इंदु की भूमिका में पहली बार कट्रीना के ग्लैमर ने नहीं, बल्कि अभिनय ने दर्शकों और विशेषज्ञों को प्रशंसा के लिए मजबूर किया। कट्रीना बताती हैं, 'इमोशनल दृश्यों में मैं इंदु के कैरेक्टर से कनेक्ट कर पायी। इसलिए उन दृश्यों के लिए मुझे कोई खास मेहनत नहीं करनी पड़ी। हां, हिंदी में मुझे लंबे-लंबे डॉयलाग जरूर याद करने पड़े।'
['दबंग' की रज्जो]
दबंग की रज्जो की भूमिका में सोनाक्षी सिन्हा का पहला प्रयास यादगार बन गया। 'थप्पड़ से नहीं डर नहीं लगता साहेब! प्यार से लगता है..रज्जो के इस संवाद से सोनाक्षी की पहचान जुड़ गयी। जब इक्कीसवीं सदी की नायिकाएं पाश्चात्य कपड़ों की बदौलत खुद को आकर्षक बताने का संकेत देती हैं, तब सोनाक्षी ने पारंपरिक भारतीय लिबास में लिपटी रज्जो की भूमिका में दर्शकों का दिल जीत लिया। रज्जो की भूमिका में सोनाक्षी को देखकर बीते जमाने की उन अभिनेत्रियों की यादें ताजा हो गयीं जो अपनी आकर्षक वेशभूषा से नहीं बल्कि अपनी अदाओं और अभिनय के कारण दर्शकों के दिल में अपनी जगह बनाने में कामयाब हुई थीं। सोनाक्षी कहती हैं, दबंग की रज्जो के रूप में मैंने सिल्वर स्क्रीन पर अपना परफेक्ट डेब्यू किया।'
['गुजारिश' की सोफिया]
गुजारिश की कलात्मकता और गहराई को आम दर्शक पचा नहीं पाए,पर सुधी दर्शकों की यादों में सोफिया डिसूजा की भूमिका में ऐश्वर्या राय बच्चन का शानदार अभिनय बस गया। सोफिया की भावनात्मक उथल-पुथल को पर्दे पर साकार सिर्फ ऐश्वर्या ही कर सकती थीं। चेहरे के भावों से सोफिया की जटिल भावनाओं को अभिव्यक्त कर ऐश्वर्या ने बता दिया कि वे कितनी सक्षम अभिनेत्री हैं.। खूबसूरती और अभिनय का ऐसा सामंजस्य सिर्फ ऐश्वर्या में ही है। ऐश्वर्या कहती हैं,'गर्व की बात है कि सोफिया के कैरेक्टर की बारीकियों को दर्शकों ने नोटिस किया। संजय लीला भंसाली की शुक्रगुजार हूं। उन्होंने नंदिनी और पारो के बाद मुझे सोफिया की यादगार भूमिका निभाने का मौका दिया।'
[सौम्या अपराजिता]

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