Sunday, March 15, 2009

काल और देश की सीमा से परे ओमपुरी


-सौम्या अपराजिता
ओमपुरी भारतीय सिनेमा के कालजयी अभिनेताओं की सूची में शुमार हैं। उनके अभिनय का हर अंदाज दर्शकों को प्रभावित करता है। रूपहले पर्दे पर जब, उनका हंसता-मुस्कुराता चेहरा दिखता है तो दर्शकों को भी अपनी खुशियों का अहसास होता है और उनके दर्द में दर्शक भी दु:खी होते हैं। हिंदी फिल्मों में लगभग चार दशकों तक अपनी प्रभावी उपस्थिति से दर्शकों का आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं ओमपुरी। नई पीढ़ी के अभिनेताओं की मौजूदगी में भी अपने परिपक्व अभिनय की छाप छोड़ रहे ओमपुरी के अभिनय के प्रशंसक केवल भारत तक ही सीमित नहीं हैं। श्याम बेनेगल और गोविंद निहलानी जैसे दिग्गज निर्देशकों के प्रिय ओमपुरी नई पीढ़ी के अभिनेताओं के प्रेरणा-स्रोत हैं। उनके सान्निध्य में कई युवा अभिनेताओं ने अपनी अभिनय-प्रतिभा को निखारा है, संवारा है। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से अभिनय का औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद ओमपुरी ने हिंदी फिल्मों का रूख किया। घासीराम कोतवाल में वे पहली बार हिंदी फिल्मी दर्शकों से रू-ब-रू हुए। घासीराम की संवेदनशील भूमिका में अपनी अभिनय-क्षमता का प्रभावी परिचय ओमपुरी ने दिया और धीरे-धीरे वे मुख्य धारा की फिल्मों से अलग समानांतर फिल्मों के सर्वाधिक लोकप्रिय अभिनेता के रूप में उभरने लगे। उनकी छवि धीर-गंभीर अभिनेता की बन गई। प्रयोगात्मक सिनेमा के दौर में ओमपुरी का अभिनय दर्शकों को खूब भाने लगा। भवनी भवई,स्पर्श,मंडी,आक्रोश,शोध जैसी फिल्मों में ओमपुरी के सधे हुए अभिनय का जादू दर्शकों के सिर चढ़कर बोला, पर उनके फिल्मी सफर में मील का पत्थर साबित हुई, अ‌र्द्धसत्य। अ‌र्द्धसत्य में युवा,जुझारू और आंदोलनकारी पुलिस ऑफिसर की भूमिका में वे बेहद जंचे।

धीरे-धीरे ओमपुरी समानांतर सिनेमा की जरूरत बन गए। समानांतर सिनेमा जगत में अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज कराने के साथ-साथ ओमपुरी ने मुख्य धारा की फिल्मों का भी रूख किया। कभी नायक कभी खलनायक तो कभी चरित्र अभिनेता और हास्य अभिनेता के रूप में वे हर दर्शक वर्ग से रू-ब-रू हुए। धीरे-धीरे ओमपुरी के अभिनय के विविध रंगों से दर्शकों को परिचित होने का मौका मिला। जाने दो भी यारो में उन्होंने अपने हल्के-फुल्के अंदाज से दर्शकों को खूब हंसाया तो, सनी देओल अभिनीत नरसिम्हा में सूरज नारायण सिंह की नकारात्मक भूमिका में भी वे खूब जंचे। यदि उन्होंने द्रोहकाल और धारावी जैसी गंभीर फिल्में की तो डिस्को डांसर और गुप्त जैसी कमर्शियल फिल्मों में भी अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज करायी। दो बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित हो चुके ओमपुरी हिंदी फिल्मों की उन गिने-चुने अभिनेताओं की सूची में शामिल हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनायी है। ईस्ट इज ईस्ट,सिटी ऑफ ब्वॉय,वुल्फ,द घोस्ट एंड डार्कनेस जैसी हॉलीवुड फिल्मों में भी उन्होंने अपने उम्दा अभिनय की छाप छोड़ी है। जीवन के उनसठ वसंत देख चुके ओमपुरी आज भी हिंदी फिल्मों में अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। फर्क, बस इतना है कि इन दिनों वे नायक या खलनायक नहीं बल्कि, चरित्र या हास्य अभिनेता के रूप में हिंदी फिल्मों दर्शकों से रू-ब-रू हो रहे हैं। चाची 420,हेरा फेरी,मेरे बाप पहले आप,मालामाल विकली में ओमपुरी हंसती-गुदगुदाती भूमिकाओं में दिखे तो शूट ऑन साइट,महारथी,देव और हालिया रिलीज दिल्ली 6 में चरित्र अभिनेता के रूप में वे दर्शकों से रू-ब-रू हुए।

काल और देश की सीमा से परे किसी सामान्य व्यक्ति की तरह दिखने वाले इस असाधारण अभिनेता के प्रशंसकों का एक बड़ा वर्ग है जिसमें आम दर्शकों से लेकर शीर्ष के अभिनेता भी हैं। उम्र के इस पड़ाव पर भी ओमपुरी के अभिनय में ताजगी है,ऊर्जा है। उम्मीद है,आने वाले कई वर्षो तक इस सम्मानित दिग्गज अभिनेता की उपस्थिति से हिंदी फिल्मों का आकर्षण बढ़ता रहेगा और अभिनेताओं की कई और नई पीढि़यां ओमपुरी के सान्निध्य से लाभान्वित होती रहेगी।

3 comments:

  1. somya ji sundar aalekh . aap ne ompuri ki filmi yatra ka accha vivaran diya padh kar accha laga . badhai.

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  2. ओमपुरी जी मेरे पसंदीदा कलाकार हैं ..


    मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

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